36 लाख के गबन में ग्राम प्रधान पर कार्यवाही
शाहपुर ब्लॉक के गांव कसेरवा में सरकारी खजाने को लगभग 36 लाख रूपये का चूना लगाने की शिकायत के मामले में ग्राम प्रधान नफीसा को कलक्टर सेल्वा कुमारी जे ने उत्तर प्रदेश पंचायतराज एक्ट 95जी के तहत कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है, जिसमें यदि नोटिस के जवाब से कलक्टर संतुष्ट नहीं होती, तो पंचायती राज एक्ट के अंतर्गत अधिकार सीज़ करते हुए तीन सदस्यीय कमैटी गठित करने की कार्यवाही कर दी जायेगी। नोटिस जारी होने के बाद ग्राम प्रधान के खेमे में हडकम्प मचा हुआ है।शाहपुर ब्लॉक के ग्राम कसेरवा निवासी जावेद पुत्र अब्बास ने शिकायत की थी कि गांव में जो विकास कार्य कराये गये है, वे मानक के अनुरूप नहीं है। सडक निर्माण से लेकर विभिन्न विकास कार्यो में धंध्ली का आरोप था। 400 शौचालय बनाये जाने का दावा था, लेकिन मौके पर बहुत कम पाये गये। डीएम ने इसकी जांच सहायक श्रमायुक्त एवं अवर अभियन्ता की टीम से करायी थी, जिसमें इंटरलाॅकिंग कार्य की जांच की गई, तो अध्कितर कार्यो में लाखों रूपये का अंतर आया। कासिम के मकान से मुशर्रपफ के मकान तक जो सडक का निर्माण एक लाख 23 हजार रूपये मे होना दिखाया गया था, उसकी लागत मौके पर 82 हजार पायी गयी, इसी तरह कई सडकों में कापफी अंतर पाया गया। मुख्य मार्ग पर हुए सडक के निर्माण में 41 हजार का गबन पाया गया, कुल मिलाकर दो लाख 80 हजार 994 रूपये की ध्नराशि के गबन की जांच में पुष्टि हुई है, जिसके बाद जिलाध्किारी सेल्वा कुमारी जे ने ग्राम प्रधन श्रीमति नपफीसा को कारण बताओ नोटिस जारी करते हुए इस गबन को लेकर जवाब मांगा है। उन्होंने बताया कि उत्तर प्रदेश पंचायत राज अध्निियम की धरा 95जी के अंतर्गत कारण बताओ नोटिस का जवाब 15 दिन के भीतर उपलब्ध् कराने के लिये कहा गया है, यदि जवाब नहीं दिया जाता, या पिफर इनके द्वारा दिये गये जवाब से विभाग संतुष्ट नहीं होता, तो इनके अध्किार सीज करने की कार्यवाही की जायेगी। शिकायतकर्ता जावेद का आरोप है कि कई सडकें ऐसे है, जिनका पैसा सरकारी खाते से निकाल लिया गया है, मौके पर सडक ही नहीं बनी। गांव में ठंडे पानी की मशीनें लगाने के नाम पर खाते से पैसा निकाला गया, पूरे गांव में एक ही पानी की मशीन लगी। डीएम की ओर से की गई इस कार्यवाही को लेकर शिकायतकर्ता ने एक बार पिफर जिला पंचायतराज अध्किारी से मिलकर अपना पक्ष रखा। इनका कहना था कि जांच समिति ने तथ्यों के आधर पर जांच नहीं की, यदि 400 शौचालयों, इंटरलाॅकिंग सडकों व सीसी मार्गो की बारीकी से जांच होती, तो यह गबन 1 करोड तक हो सकता था। जब जांच टीम गांव में पहुंची, तो शिकायतकर्ता का पक्ष नहीं लिया गया, अकेले अप्रैल माह में ही 36 लाख रूपये का गबन होने का आरोप लगाया गया है।