जिस समय पूरा शहर सो रहा था, उस समय बीना शर्मा बेसहारा को......
मेरा मानना है कि किसी बेसहारा को अगर वक्त पर सहारा मिल जाये तो इससे बड़ा कोई पुण्य नही हो सकता । बेसहारो को सहारा देने में जुटी मुज़फ्फरनगर की समाजसेविका बीना शर्मा भी दिन भर इसी काम मे जुटी रहती है, जैसे ही पता चलता है कोई बेसहारा महिला या बच्चा पुलिस को मिला या परेशानी में है तो वोह सीधे वही पर पहुंच कर मदद करती है। आज भी बेसहारा महिला लक्ष्मी की विशेष मददगार बीना शर्मा बनी। पिछले कई वर्षो से मुज़फ्फरनगर मै बेसहारा लापता या खोये बच्चो को उनके माता पिता से मिलवाकर ही चैन की सांस लेने वाली समाजसेवी बीना शर्मा जी को गाँधी कॉलोनी गाँधी वाटिका के पास एक बेसहारा महिला के बैठें होने की जानकारी ज़ब गाँधी कॉलोनी के व्यक्तियों द्वारा दी गयी और उक्त की जानकारी पुलिस को भी दी गयी। बीना शर्मा के रात्रि 11 बजे किए प्रयासों से तुरंत पुलिस 100 चीता मोबाइल द्वारा उसको पचेंडा पहुँचवाने का इंतजाम किया. क्षेत्रवासियो ने उसे चाय खाना खिलाया. रात्रि गश्त करने वाले पुलिस कर्मियों द्वारा उसे उसकी झोपडी नुमा घर भिजवाने का प्रबंध किया गया. जिस समय पूरा शहर सो रहा था तब बीना शर्मा बेसहारा महिला को लेकर उसकी झोपड़ी पहुंच गई। पुलिस तो अपनी ड्यूटी कर रही थी मगर यह शख्सियत मानवता का फर्ज निभा रही थी।
यहाँ नारी की दुर्दशा किसी से छिपी नहीं है। पिछले 45 साल से बीना शर्मा 'बेटी पढ़ाओ-बेटी बचाओ' की मुहिम को चरितार्थ कर रही है। वह दीन-दुखी, बहन-बेटियों की सुरक्षा के साथ हर जुल्म की आवाज हैं। देशभर के कई राज्यों में अपनों से बिछड़ चुकी बेटियों, महिलाओं को मिलाया है। तलाक की दहलीज पर झूल रहे परिवारों को आपसी तालमेल के जरिए फिर से सुखद बनाया है।नई मंडी निवासी अधिवक्ता सुरेंद्र शर्मा की पत्नी बीना शर्मा ने बच्चों को दुखी देखा तो उनके उत्थान का बीड़ा उठा लिया। उम्र के पड़ाव पर पहुंची बीना शर्मा का समाजसेवा के लिए जज्बा और जुनून आज भी कम नहीं है। बेटियों, महिलाओं पर कहीं जुल्म हो तो वह बिना झिझक उसकी मदद को पहुंचती हैं। वह बताती हैं कि अब तक वह सैकड़ों महिलाओं, युवतियों, किशोरियों को उनके परिवार से मिला चुकी हैं। इनमें झारखंड, बिहार, पश्चिम बंगाल, कोलकाता आदि प्रमुख हैं। यहां से लड़कियों को बहला-फुसलाकर लाने वालों को सजा तक दिलवाई है। वह महिला हेल्पलाइन की मुहिम से जुड़कर महिला और किशोरियों को स्वावलंबी बना रही हैं। इसके लिए शहर के साथ गांव-गांव जाकर जागरुकता फैलाई है। अब वे बेसहारो का सहारा बन गई है।