समय से कराएं आंखों का इलाज नहीं तो हो सकती है बड़ी परेशानी: डॉक्टर श्रद्धा
आधुनिक मशीनों से सुसज्जित नगर के हिमालया नर्सिंग होम के चिकित्सकों ने कुछ ही समय में लगाई गई सभी प्रकार के रोगों के निशुल्क जांच शिविर में से क्षेत्र के हजारों मरीजों का इलाज कर एक नई मिसाल कायम की है उसी संदर्भ में आज फिर हिमालय हॉस्पिटल में नेत्र रोग जांच का निशुल्क शिविर लगाया गया जिसमें करीब 685 विभिन्न बीमारी से जूझ रहे मरीजों ने अपना चेकअप कराकर निशुल्क दवाई हासिल
की।पांडू शिला रोड स्थित हिमालय हॉस्पिटल में निशुल्क चिकित्सा शिविर का आयोजन किया गया। जिसमें नेत्र रोग के साथ साथी जाने-माने ऑर्थोपेडिक सर्जन हड्डी रोग विशेषज्ञ डॉक्टर सागर तोमर ने तो चर्म रोग विशेषज्ञ डॉक्टर एसके त्यागी द्वारा रोगियों का परामर्श कर परीक्षण किया। जिसमे आयुष्मान कार्ड वाले रोगी भी देखे गए। हॉस्पिटल डायरेक्टर डॉक्टर ओमकार पुंडीर ने बताया के आज के शिविर में क्षेत्र की जानी मानी नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉक्टर श्रद्धा तोमर ने रोगियों की आंखों का चेकअप करते हुए उन्हें रोगों से बचाव के उपाय बताएं इस दौरान 355 रोगी नेत्र के रहे 170 रोगी मोतियाबिंद से पीड़ित पाए गए जिनमे से 120 लोगों को ऑपरेशन के लिए चुना गया। जिनमे 85 रोगी आयुष्मान योजना के रहे। आयुष्मान योजना के अंतर्गत लगभग 140 रोगी देखे गए। डॉ श्रद्धा तोमर ने बताया कि सरधना के हिमालय हॉस्पिटल में पहली बार फेको मशीन के द्वारा जटिल से जटिल रोगों का ऑपरेशन बहुत सस्ते रेट पर किया जाएगा तथा आयुष्मान कार्ड वालों का फ्री ऑपरेशन किया जाएगा। उन्होंने बताया कि समय के साथ दृष्टि में गिरावट आने शुरू हो जाती है ऐसा होने पर तुरंत चिकित्सक के पास जाना चाहिए। मोतिया बिंद के लक्षणों में आम तोर से रात में अथवा कम रोशनी में दृष्टि में कमी होना। रात में रंग मलिन दिखाई दे सकते हैं या रात की दृष्टि कमजोर हो सकती है। धूप या तेज रोशनी में दृष्टि चमक से प्रभावित होती है। चमकदार रोशनी के चारों ओर कुण्डल दिखाई देते हैं। मोतियाबिंद से खुजली,आंसू आना या सिर दर्द नहीं होता है।
उन्होंने बताया कि वर्तमान में लेंस की पारदर्शिता को पुनर्स्थापित करने वाली कोई भी दवा उपलब्ध नहीं है। चश्मे मदद नहीं कर पाते क्योंकि प्रकाश की किरणें आंखों से पारित नहीं हो पाती हैं। शल्यक्रिया के द्वारा हटाना ही मोतियाबिंद के इलाज का एकमात्र तरीका है। मोतियाबिंद सर्जरी के विभिन्न प्रकार होते हैं। यदि दृष्टि केवल कुछ धुंधली हो तो मोतियाबिंद का इलाज करने की आवश्यकता नहीं होती है। बस चश्मे बदलने से दृष्टि के सुधार में मदद मिलती है, लेकिन केवल थोड़े समय के लिए। सर्जरी तब करनी पड़ती है जब पर्याप्त दिखाई न दें। शिविर में बाल रोग विशेषज्ञ डॉक्टर ललित मोहन तोमर स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉक्टर संगीता पुंडीर ने भी रोगियों की जांच की। इस अवसर पर हॉस्पिटल मैनेजर डीपी सिंह योगेंद्र सिंह ज्योति अर्चना सेबी आदि का विशेष सहयोग रहा।,,,,,
अहमद हुसैन
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