जच्चा स्वस्थ तो बच्चा स्वस्थ समय पर कराएं जांच, जोखिम से बचें गर्भवती
(संजय वर्मा)
मेरठ। स्वस्थ बच्चे के लिए माँ का स्वस्थ होना बेहद जरूरी है। ऐसी स्थिति में ज़रूरी है कि गर्भवती की सही समय पर सभी जाँच हों, ताकि होने वाला बच्चा स्वस्थ हो और माँ भी स्वस्थ रहे।
जिला महिला अस्पताल की मुख्य चिकित्सा अधीक्षक (सीएमएस) डॉ. मनीषा अग्रवाल ने बताया गर्भावस्था के शुरुआती तीन महीने बहुत अहम होते हैं। कई महिलाएं गर्भावस्था के शुरुआती तीन महीने यानी फर्स्ट ट्राइमेस्टर को बेहद हल्के में लेती हैं, जबकि यह समय सबसे महत्वपूर्ण होता है। इसी दौरान गर्भ में भ्रूण का विकास होना शुरू होता है। माँ का शरीर कई तरह के शारीरिक और हार्मोनल बदलावों से गुजरता है। ऐसे समय में माँ और बच्चे के स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए प्रसव पूर्व कुछ जांच होना बेहद जरूरी हैं। इन जाँच को एंटी नेटल केयर भी कहते हैं। यह इसलिए भी जरूरी हैं ताकि समय से पता चल सके कि माँ और बच्चा पूरी तरह से स्वस्थ हैं। इन जाँच का मकसद गर्भावस्था के समय होने वाले जोखिम को पहचानना, गर्भावस्था के दौरान रोगों की पहचान करना और उनकी रोकथाम करना है। इन जाँच से हाई रिस्क प्रेगनेन्सी (एचपीआर) केस को चिन्हित किया जाता है। प्रसव पूर्व जाँचों में मुख्यतः खून, रक्तचाप, एचआईवी की जांच की जाती है।
एंटी नेटल केयर (एएनसी) का महत्व
• एएनसी से गर्भावस्था के समय होने वाली जटिलताओं का पहले ही पता चल जाता है
•गर्भावस्था के दौरान अगर माँ को कोई गंभीर बीमारी (एचआईवी) है तो इससे समय रहते भ्रूण को बीमारी से बचाया जा सकता है।
•एनीमिक होने पर प्रसूता का सही इलाज किया जा सकता है
•भ्रूण की स्थिति का पता चल जाता है।
हाई रिस्क प्रेगनेंसी केस (एचआरपी) क्या है
डॉ. मनीषा ने बताया उच्च जोखिम वाली गर्भावस्था या हाई रिस्क प्रेगनेंसी उसे कहते हैं, जिसमें माँ और शिशु दोनों में सामान्य गर्भावस्था की तुलना में अधिक जटिलता विकसित होने की आशंका होती है। हाई रिस्क प्रेगनेंसी वाली माहिलाओं को अन्य सामान्य गर्भवती स्त्रियों के मुकाबले ज्यादा समस्याओं का सामना करना पड़ता है और चिकित्सक की देखरेख की ज्यादा ज़रूत पड़ती है। उन्होंने बताया एक साल में जनवरी 2019 से अब तक 20556 महिलाओं का एएनसी चेक अप हुआ है। 2019 केस हाई रिस्क प्रेगनेंसी के मिले।
हाई रिस्क प्रेगनेंसी की पहचान
•पूर्व की गर्भावस्था या प्रसव का इतिहास - पहला प्रसव ऑपरेशन से हुआ हो, प्रसव के दौरान या बाद में अत्यधिक रक्तस्त्राव हुआ हो
•गर्भवती को पहले से कोई बीमारी हो - उच्च रक्तचाप, डायबिटीज़, हाइपोथायराइ, टीबी, दिल की बीमारी हो
•वर्तमान गर्भावस्था में- गंभीर एनीमिया ( हीमोग्लोबिन 7 ग्राम से कम), रक्तचाप, गर्भावस्था के समय डायबिटीज़ का पता चलना
प्रसव पूर्व चार जाँच
•प्रथम चरण - गर्भ धारण के तुरंत बाद या गर्भावस्था के पहले तीन महीने के अंदर
•द्वितीय चरण- गर्भधारण के चौथे या छठे महीने में
•तृतीय चरण- गर्भधारण के सातवें या आठवें महीने में
•चतुर्थ चरण- गर्भधारण के नौवें महीने में