32 सप्ताह के प्रीटर्म बच्चे का मदरहुड हॉस्पिटल के अडवान्स्ड एनआईसीयू में किया गया सफल इलाज, बच्चा लंग मालफंक्शन से पीड़ित था * बच्चे को जन्म के 2 दिन बाद ही मदरहुड अस्पताल भेजा गया गया था * बच्चे की हालत नाज़ुक थी क्योंकि उसके अंग पूरी तरह विकसित नहीं हुए थे * मदरहुड की अडवान्स्ड नियोनेटल युनिट में इलाज के बाद बच्चा अब ठीक है
भारत में महिलाओं और बच्चों के लिए सबसे तेज़ी से विकसित होते अस्पताल नेटवर्क- मदरहुड हॉस्पिटल्स ने बुलंदशहर, उत्तरप्रदेश से 32 सप्ताह के प्रीटर्म बेबी को नया जीवन दिया है। अस्पताल की आधुनिक नियोनेटल केयर युनिट ने अपनी आधुनिक मशीनों, अत्याधुनिक वेंटीलेटर/सीपीएपी मशीनों के साथ बच्चे की जान बचाई। बेबी आर्यन (बदला हुआ नाम) का जन्म बुलंदशहर के एक अस्पताल में गर्भावस्था के 32 सप्ताह में ही हो गया। मदरहुड में नियोनेटल इंटेन्सिव केयर युनिट लैवल III युनिट है जो अपने अनुभवी एवं प्रशिक्षित नियोनेटोलोजिस्ट्स की टीम के साथ 24/7 हाई-इन्टेन्सिटी नियोनेटल केयर उपलब्ध कराती है। नियोनेटल टीम की प्रशिक्षित नर्सें नवजात शिशुओं की देखभाल में विशेषज्ञ हैं, वे खासतौर पर प्रीटर्म, बीमार और उन नवजात बच्चों की देखभाल में निपुण हैं जिन्हें एनआईसीयू में विशेष देखभाल की ज़रूरत होती है।
‘‘आर्यन पहला बच्चा है जो अस्पताल के बाहर पैदा हुआ और हमने यहां एनआईसीयू में उसका इलाज किया। उसे बुलंदशहर से यहां भेजा गया था। प्रीटर्म होने के कारण उसके फेफड़े और अंग पूरी तरह विकसित नहीं हुए थ, इसके लिए जन्म के दूसरे दिन से उसे कई समस्याएं होने लगीं। उसे आगे देखभाल के लिए मदरहुड अस्पताल भेज दिया गया। मदरहुड अस्पताल में आधुनिक मशीनों, वेंटीलेटर/सीपीएपी मशीन से उसका तुरंत इलाज शुरू किया गया। शुरूआती दो दिनों में उसकी हालत बहुत खराब थी, उसे अनुभवी डाॅक्टरों और नर्सों की निगरानी में रखा गया। जल्द ही उसमें सुधार होने लगा। 5 दिनों में उसे छुट्टी दे दी गई और इसके बाद वह बुलंदशहर लौट गया। यह प्रीटर्म बीमार बच्चे का अच्छा उदाहरण है जिसे सही समय पर नियोनेटल युनिट लाया गया, परिणामस्वरूप आधुनिक सुविधाओं के साथ उसका सही इलाज किया जा सका। अभी वह ठीक है। “ डॉ रमानी रंजन, कन्सलटेन्ट, पीडियाट्रिक्स एण्ड नियोनेटोलॉजी, मदरहुड हॉस्पिटल, नोएडा ने कहा।
मदरहुड हॉस्पिटल ने ट्रांसपोर्ट वेंटिलेटर के साथ निओनेटल इनक्यूबेटर भी खरीदे हैं जो इन-हाउस अनुभवी टीम की सहायता से पूरे क्षेत्र में नवजात शिशुओं को ले जाने के लिए उपयोग किया जाते है।
इस एम्बुलेंस को 'एनआईसीयू ऑन व्हील्स' के रूप में कहा गया है और यह कुछ नवजात विशिष्ट क्षेत्र में उपलब्ध उन्नत परिवहन प्रणालियाँ है।
भारत में हर साल 0.75 मिलियन नवजात शिशुओं की मृत्यु हो जाती है, यह आंकड़ा दुनिया में सबसे अधिक है। नियोनेटल अवधि यानि जीवन के पहले 28 दिन बहुत अधिक जोखिम भरे होते हैं। पहले 4 सप्ताहों में जोखिम बाद की अवधि से 30 गुना अधिक होता है। फिर भी हमारे देश में नवजात शिुशओं की उचित देखभाल नहीं की जाती। हालांकि प्रयासों के परिणामस्वरूप देश में नवजात शिशुओं की मृत्यु दर में धीमी गिरावट आई है। जन्म से पहले जटिलताएं और इन्फेक्शन भारत में नवजात शिशुओं की मृत्यु के मुख्य कारण हैं।