साधन हैं पर, विकास को तरसती गंगनहर
काज़ी अमजद अली
पर्यटन उद्योग को बढावा देकर रोजगार के अवसर प्रदान करने के अधूरे प्रयासों के कारण ब्रिटिशकालीन 1842 से 1854 के मध्य बनी गंगनहर झाल उपेक्षा का शिकार है। कृत्रिम झरने व पानी की उपलब्धता के बावजूद नहर झाल को विकास की दरकार है।
गंगनहर पर ब्रिटिशकाल में बनी झाल आज पर्यटन का केन्द्र बन सकती है। कृत्रिम झरनों से गिरता दूधिया जल व शानदार वास्तुकला पर आधारित पुरानी इमारतें बरबस ही राहगीरों को अपनी ओकर आकर्षित करती हैं। पुराने जमाने की तकनीक पर आधारित जल शक्ति से टरबाईन का संचालन बराबर में ऊँचाई से गिरता हजारों क्यूसेक पानी 150 वर्ष बीतने के बाद भी अद्भुत छटा को प्रस्तुत करता है। घने वृक्षों की छांव में बीच बनी पनचक्की की छोटी झाल भी मनोरम व सुखदायी दृश्य प्रस्तुती करती है। भोपा क्षेत्र की निरगाजनी गंगनहर झाल को आवश्यकता है। केवल विकास की,थोडे से निवेश व साधनों को विकसित कर नहर झाल को पर्यटन के रूप में विकसित किया जा सकता है। नौकायान की सुविधा के साथ रेस्त्रां आदि को स्थापित कर क्षेत्र में पर्यटकों को आकर्षित कर रोजगार के अवसर प्रदान किये जा सकते हैं। जिससे क्षेत्र में रोजगार बढने के साथ साथ प्राचीन धरोहर को सुरक्षित रखने को भी मजबूती मिलेगी। प्रथम चरण में केवल साफ सफाई पर ध्यान दिया जाये तो आगामी गर्मी के मौसम में दिल्ली-हरिद्वार जाने वाले यात्रियों को इस ओर आकर्षित करने में देर न लगेगी अगले वर्ष हरिद्वार में आयोजित होने वाले कुम्भ के दौरान जहां लाखों श्रद्धालु के गंगनहर पटरी से गुजरने की आशा हैए ऐसे में समय रहते इस ओर ध्यान देने की आवश्यकता है।राजधानी दिल्ली से मुरादनगर होते हुवे यात्री गंग नहर पटरी द्वारा हरिद्वार पहुँचते हैं लगभग 114 km लम्बी गंग नहर पटरी मार्ग पर जनपद गाज़ियाबाद की 12.35 मेरठ की 42.03 मुज़फ्फरनगर जनपद की सीमा 59.57 पड़ती है मार्ग पर बनी भोला की झाल,सलावा की झाल,चितौडा की झाल,निरगाजनी झाल,मोहम्मदपुर की झाल यात्रियों को सुखद अहसास कराती हैं।
शासन प्रशासन अगर इस ओर ध्यान दे तो गंग नहर पटरी पर बनी झाल यात्रियों को अवश्य ही अपनी ओर आकर्षित करेगीं।