विश्व कैंसर दिवस पर विशेष: सावधानी व इलाज बता रहे डॉक्टर सतेंद्र
विश्व कैंसर दिवस
कैंसर क्या है -: कैंसर कोई एक किस्म की बीमारी नहीं होती बल्कि इसके अनेक रूप होते हैं अधिकतर कैंसर का नाम उस कोशिका के नाम पर होता है जैसे 1)बड़ी आंत में होने वाले कैंसर को पेट का कैंसर कहा जाता है ।
2)जो त्वचा के कोशिकाओं में होता है उसे कोर सिनेमा कहते हैं 3) गले का कैंसर
4)मुंह का कैंसर
5)रक्त कैंसर
6) प्रजनन व मूत्र से जुड़े कैंसर
कैंसर की उत्पत्ति -:सभी प्रकार के कैंसर कोशिकाओं में शुरू होते हैं जो शरीर की संरचनात्मक इकाई होती है शरीर कई प्रकार की कोशिकाओं का बना होता है शरीर को स्वस्थ रखने के लिए कोशिकाएं निरंतर वृद्धि करती है और विभाजित होती रहती है कभी-कभी यह प्रक्रिया अव्यवस्थित हो जाती है तब यह कोशिकाएं मरती नहीं इसके बजाय नई कोशिकाएं पैदा होती हैं जिनकी शरीर की जरूरत नहीं होती यह कोशिकाएं बड़े स्तर पर उग्र रूप धारण कर लेती है हालांकि सभीउत्तक घातकनहीं होते ,झूमर घातक भी ही हो सकते हैं ।
कैंसर के लक्षण-:
1) त्वचा में परिवर्तन होना ।
2)स्वर बदलना या बराबर खाँसी रहना ।
3)गले में खराश जो कभी-कभी ठीक नहीं होती ।
4)स्तन या शरीर के किसी अंग में गांठ या कड़ापन होना ।
5)निगलते समय कठिनाई महसूस करना ।
6)वजन में अचानक कमी होना या वजन अचानकबढ़ जाना ।
7)असामान्य रक्तस्राव ।
8)शरीर में कमजोरी व थकावट महसूस होना
कैंसर से बचाव-:
1)तंबाकू बीड़ी सिगरेट का सेवन न करें ।
2)कम वसा वाला भोजन करें हरी सब्जियां और साबुत अनाज दालों का सेवन करें ।
3)प्रतिदिन व्यायाम वे योगिक क्रियाएं करें ।
4)स्वस्थ जीवन शैली को अपनाएं प्रदूषण से बचे।
उपरोक्त लक्षणों के मिलने पर विशेषज्ञ चिकित्सक की सलाह लें प्रारंभिक अवस्था में कैंसर का उपचार संभव है ।आयुर्वेद जोकि सुश्रुत के अनुसार अर्थ वेद का उपवेद है आयुर्वेद की उत्पत्ति और जनक भगवान धन्वंतरी के द्वारा की गई है आयुर्वेद में कैंसर को कर्कटार्बुद कहते हैं।उस काल
में वैद्य नाड़ी ज्ञान के द्वारा शरीर में होने वाले अर्बुद का पता लगा इलाज करते थे। कैंसर (कर्कटार्बुद) ठीक हो जाता था।
शास्त्रो में कर्कटार्बुद चिकित्सा में निम्न औषधियां प्रयोग करने का वर्णन मिलता है।
1) गिलोय सत्व।
2) आरोग्यवर्धिनी वटी।
3) अमृतारिष्ट।
4)स्वर्णभस्म।
डाक्टर सतेन्द्र सिंह
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