अपराधियों को गलती सुधारने के साथ नया जीवन देने में सहयोग कर रही है रिहाई फाउंडेशन
मुजफ्फरनगर: कैदी शरणवीर मूलरूप से मुजफ्फरनगर के देहात क्षेत्र के थाना ककरौली के रहने वाले हैं। हत्या के मामले में जुलाई 2006 से जेल में बंद हैं। बंदी को जिला न्यायालय मुजफ्फरनगर ने हत्या के मामले में मृत्यु दंड से दंडित किया था जिसको माननीय इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मृत्युदंड को आजीवन कारावास में तब्दील कर दिया था । बंदी वर्तमान में उप कारागार देवबंद में बंद है ।बंदी के घर की स्थिति बहुत ही दयनीय हो गई थी । परिवार की स्थिति को देखते हुए रिहाई फाउंडेशन कानूनी सहायता समिति के अध्यक्ष वा सुप्रीम कोर्ट के एडवोकेट एम अदील सिद्दीकी ने बंदी के परिवार को कानूनी मदद दिलाने का फैसला किया। सुप्रीम कोर्ट में समिति द्वारा बंदी शरणवीर की समय पूर्व रिहाई के लिए रिट याचिका संख्या 136 ऑफ 2022 समिति द्वारा फाइल की गई जिसमें माननीय सुप्रीम कोर्ट की खंडपीठ ने माननीय डॉ. जस्टिस डी.वाई. चंद्रचूड़ और माननीय श्री। जस्टिस सूर्यकांत ने अपने आदेश में जेल अध्यक्ष देवबंद व उत्तर प्रदेश सरकार को शीघ्रता से समयपूर्व रिहाई, प्रमाणित प्रति प्राप्त होने की तारीख से चार महीने की अवधि के भीतर निर्णय लेने का निर्देश दिया हैं। लिहाजा, रिहाई फाउंडेशन के प्रयासों से बंदी शरणवीर को रिहाई के साथ-साथ फिर से समाज की मुख्य धारा में सम्मान के साथ जुड़ने का मौका मिल गया। समिति के अध्यक्ष वा सुप्रीम कोर्ट के एडवोकेट एम अदील सिद्दीकी ने बताया की हमारा प्रयास कैदियों का सुधार करने और समाज में फिर से जोड़ने का है। हमें उम्मीद है कि जब वे समाज में वापसी करेंगे तो वे समाज को कुछ वापस देने में सक्षम हों पाए|