पिता के सम्मान में मनाए जाने वाला पर्व है फादर्स डे
◆ जर्नलिस्ट डा.अखिल बंसल,जयपुर
अधिकांश बच्चों का लगाव अपने माता पिता से होता है । बच्चे अपने पिता को ही सबसे अच्छा दोस्त समझते हैं । पिता की प्रेरणा से ही बच्चे सत्य मार्ग का अनुसरण करते हैं। जहां मां अपनी संतान को त्याग और ममता प्रदान करती है वहीं पिता जीवन की मजबूत नींव रख कर उसे सुंदरता प्रदान करते हैं। सही मायने में बच्चों के माता-पिता को ही प्रथम पाठशाला कहा जाए तो अतिशयोक्ति नहीं होगी। पिता क्या है इसके लिए किसी ने लिखा है-
कभी हंसी और कभी खुशी का मेला है पिता
कभी कितना अकेला और तनहा है पिता
मां तो कह देती है अपने दिल की बात
सब कुछ समेट के आसमान सा फैला है पिता
जगत के सभी मित्रों को सम्मान देने के उद्देश्य से प्रतिवर्ष फादर्स डे मनाया जाता है। जून माह के तृतीय रविवार को फादर्स डे मनाने की परंपरा है, जिसका शुभारंभ 19 जून 1910 से हुआ। इस वर्ष 19 जून को फादर्स डे मनाया जाएगा। फादर्स डे सबसे पहले वाशिंगटन के स्पोकन शहर में एक बेटी द्वारा मनाया गया। उस बेटी का नाम सोनारा था ; उसकी मां के आकस्मिक निधन के पश्चात उसके पिता ने बेटी तथा उसके अन्य भाई बहनों की परवरिश बड़े ही मनोयोग से की। बेटी अपने पिता से बहुत प्यार करती थी। करती भी क्यों ना आखिर पिता ने ही तो उसे मां का दुलार दिया, सुरक्षा प्रदान की व चिंता मुक्त बनाया। तभी से सोनारा ने पिता दिवस मनाने का शुभारंभ किया। सन 1966 में अमेरिका के राष्ट्रपति लिंडन जॉनसन ने फादर्स डे मनाने की आधिकारिक घोषणा की। सन् 1972 में यूएस के राष्ट्रपति रिचर्ड निक्सन ने फादर्स डे को नेशनल हॉलिडे घोषित किया। सही मायने में फादर्स ड़े पिताओं के सम्मान में व्यापक रूप से मनाया जाने वाला पर्व है।
आप भी 19 जून को अपने पिता के लिए सम्मान स्वरूप कुछ ना कुछ गिफ्ट देकर उनके प्यार व त्याग के लिए अपनी कृतज्ञता ज्ञापित करें ।
भारतीय संस्कृति में पिता का बहुत बड़ा महत्व है । उनका साया उस मजबूत वृक्ष के समान है जो स्वयं गर्मी, सर्दी , बरसात सहते हुए परेशानियों को झेलता है परंतु अपनी छाया में बैठे लोगों को किसी प्रकार की आंच भी नहीं आने देता। पिता अपनी संतान को जीवन का मूल्य समझाता है तथा उसे जीवन जीने का तरीका सिखाता है। विपरीत परिस्थितियों का सामना कैसे किया जाता है वह सब हमें पिता से सीखने को मिलता है।
पिता दिवस विश्व के प्रत्येक पिता को अपने बच्चों के लिए दिया गया बलिदान, त्याग, कडी मेहनत और जिम्मेदारी को दर्शाने का प्रतीक पर्व है आइये हम सब इस अवसर पर अपने पिता को सम्मानित करने का अवसर हाथ से न जाने दें।
किसी ने सच ही कहा है-
पिता के बिना जिंदगी वीरान होती है,तन्हा सफर में हर राह सुनसान होती है।