चौधरी नरेश टिकैत के संत प्रवृत्ति की ओर बढ़ते कदम..
मेरा विचार
कमल मित्तल (वरिष्ठ पत्रकार)
मुजफ्फरनगर। भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं बालियान खाप के मुखिया चौधरी नरेश टिकैत की सादगी सच्चाई और सामाजिक फैसलों में न्याय प्रियता का ग्राफ दिनों दिन बढ़ता जा रहा है। इस स्टोरी के लेखक अर्थात मेरा पिछले चालीस वर्षों से चौधरी नरेश टिकैत के साथ निजी संबंध लगातार समय के साथ बदलता और अधिक गहरा होता चला जा रहा है। बात वर्ष 1983 से शुरू करें तो कस्बा शामली में अचानक चौधरी नरेश टिकैत से मुलाकात हुई तब वह बड़ौत में शिक्षार्थी थे और मैंने सिसौली में कक्षा 10 की परीक्षा दी थी और मैं बिजली का बिल जमा करने शामली गया हुआ था उस छोटी सी मुलाकात के बाद अनेकों मुलाकाते हुई और वर्ष 2011 में चौधरी नरेश टिकैत को किसान मसीहा चौधरी महेंद्र सिंह टिकैत जी की मृत्यु के बाद बालियान खाप का मुखिया एवं भारतीय किसान यूनियन का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने तक का सफर अपनी आंखों से देखा।
इस दौरान चौधरी नरेश टिकैत के साथ अति घनिष्ट मित्र के रुप में संबंध रहा ।वर्ष 2011 से पूर्व जब धर्मनगरी शुक्रतीर्थ जब अचानक आई बाढ़ से अस्त व्यस्त हो गई थी तो उस समय चौधरी नरेश टिकैत पीड़ितों की मदद के लिए आगे रहे और मैं भी उनके साथ धर्मनगरी शुक्रतीर्थ में राहत सामग्री बांटने में साथ रहा।
वर्ष 2011 में मिली खापचौधरी एवं भाकियू मुखिया की जिम्मेदारी को चौधरी नरेश टिकैत ने बखूबी निभाया और अनुभव के साथ अपनी उपयोगिता को समाज में साबित किया अनेक अनुभव के बाद पिछले कुछ वर्षों से सरल स्वभाव के धनी चौधरी नरेश टिकैत ने आम जनमानस के मन मस्तिष्क में अपना स्थान एक संत प्रवर्ती से परिपूर्ण योगी की तरह स्थापित किया और जिस तरह उन्होंने अपने आप स्वयं और मैं तो कहूंगा कि स्वंम मैंने भी झूठ न बोलना और बिना किसी हिचकिचाहट के बिना किसी डर के सभी सामाजिक मामलों में सच के साथ निर्णय लेने की शपथ लेकर उसे पूरी पारदर्शिता के साथ निभाया है।
आज बालियान खाप के साथ अन्य खापो के बुजुर्ग ही नहीं युवा भी चौधरी नरेश टिकैत की सत्य के साथ निर्णय लेने की क्षमता और सादगी का बखान करते हैं, यही प्रवृत्ति उन्हें एक संत के रूप में प्रख्यात करती नजर आती है।
आगामी 26 मार्च को राजकीय कॉलेज मुजफ्फरनगर के विशाल मैदान में 108 कुंडीय महा मृत्युंजय यज्ञ होने जा रहा है जिसमें भाकियू सुप्रीमो चौधरी नरेश टिकैत मुख्य यजमान की भूमिका में रहेंगे । यह विशाल 108 कुंडीय महामृत्युंजय यज्ञ जिसके यजमान महामंडलेश्वर श्री संजीव शंकर जी महाराज है , का उद्देश्य पिछले कुछ समय से देश में चल रही अकाल मृत्यु का दौर और भारत राष्ट्र में सुख शांति और समृद्धि है।