उत्तराखंड में यूनानी मेडिकल कॉलेज के निर्माण को जल्दी ही पूरा कराए धामी सरकार : आरिफ जैदी

 कलियर शरीफ में स्वीकृत गवर्नमेंट यूनानी मेडिकल कॉलेज के निर्माण में देरी उत्तराखंड में यूनानी चिकित्सा को बढ़ावा देने में एक बड़ी बाधा है: प्रोफेसर सैयद आरिफ ज़ैदी 








नई दिल्ली।ऑल इंडिया यूनानी तिब्बी कांग्रेस की राष्ट्रीय जनरल बॉडी की बैठक प्रोफेसर सैयद मोहम्मद आरिफ ज़ैदी (पूर्व डीन  यूनानी फैकल्टी जामिया हमदर्द की अध्यक्षता में तसमिया क़ुरान अकादमी देहरादून में आयोजित की गई। उन्होंने इस बात पर आश्चर्य व्यक्त किया कि कलियर शरीफ में सात वर्ष पूर्व स्वीकृत गवर्नमेंट यूनानी मेडिकल कॉलेज का निर्माण सरकार की रुचि न लेने के कारण लटका हुआ है। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड प्रांत में यूनानी चिकित्सा को बढ़ावा देने में यह बड़ी बाधा है।प्रोफेसर आरिफ जैदी ने आगे कहा कि आज हमारे लोगों में सर्जरी का चलन कम होता जा रहा है, जबकि यूनानी चिकित्सा पद्धति में सर्जरी को वही अहमियत हासिल है जो एलोपैथी को है। उन्होंने यह भी सुझाव दिया कि इलाज बिल्तदबीर में हिजामा का बहुत महत्व है लेकिन हमारे कुछ नासमझ लोग इसे मज़हबी जामा पहनाने का प्रयास कर रहे हैं जबकि यह पूरी तरह से साइंटिफिक है। उन्होंने इस बात पर जोर देते हुए कहा कि यूनानी चिकित्सा को मजबूत करने और बढ़ावा देने के लिए दवाओं का  मानक का होना बहुत जरूरी है।

इस मौके पर तिब्बी कांग्रेस के सरपरस्त डॉ. सैयद फारूक ने डॉक्टरों को कई उपयोगी सलाह देते हुए कहा कि ऑल इंडिया यूनानी तिब्बी कांग्रेस यूनानी चिकित्सा को बढ़ावा देने में सबसे बड़ी तहरीक़ है। यह सिलसिला जारी रहना चाहिए और सरकार को समय-समय पर अपनी बात पहुंचाते रहना चाहिए। उन्होंने नई दिल्ली के विज्ञान भवन में पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेयी द्वारा दिए गए भाषण का जिक्र करते हुए कहा कि उनके पेट की तकलीफ एक हकीम जी के इलाज से दूर हुई थी।जिस की उन्होंने तारीफ की थी। जाहिर है अपने समय के प्रधानमंत्री द्वारा यूनानी चिकित्सा और यूनानी डॉक्टरों को प्रोत्साहित करना अपने आप में बड़ी बात है।उन्होंने कहा कि रिसर्च के कार्य को प्राथमिकता के आधार पर आगे बढ़ाया जाना चाहिए क्योंकि इसके माध्यम से हम दुनिया में अपनी ताकत दिखाने में कामयाब होंगे।





प्रोफेसर मोहम्मद यूनिस ने कहा कि यूनानी उपचार पद्धति मानव स्वभाव के अनुरूप है और पूर्ण उपचार का साधन भी है। हमें हीन भावना और कोरी दुनियादारी से बाहर निकलकर जनसेवा की भावना से आगे बढ़ना होगा। आधुनिक समय में व्यावसायिक सोच ने नैतिकता को नष्ट कर दिया है, जबकि यूनानी चिकित्सा में नैतिक दायित्वों को प्राथमिकता दी गई है। उन्होंने कहा कि इलाज बिल्तदबीर का चलन बढ़ रहा है लेकिन वैज्ञानिक क्षेत्र में इसकी सीमाएं तय की जानी चाहिए और इसे बढ़ावा दिया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि इलाज का सबसे बड़ा गुण यह है कि व्यक्ति अधिक दवाइयां खाने से बच जाता है और अच्छे स्वास्थ्य वाला व्यक्ति बन जाता है। इसलिए प्रत्येक शैक्षणिक संस्थान को अपने कॉलेज अस्पताल में इलाज को प्राथमिकता देनी चाहिए। इस मौके पर डॉ. सैयद अहमद खान ने प्रांतीय रिपोर्ट पेश की।उन्होंने पश्चिम बंगाल, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, पंजाब, गुजरात, हरियाणा, असम और उड़ीसा में यूनानी चिकित्सा की खराब स्थिति पर अफसोस जताया। प्रांतीय अध्यक्षों एवं महासचिवों ने भी अपने विचार व्यक्त किए।जिनमें प्रमुख रूप से डॉ. एसएम याकूब, डॉ. मुतीउल्लाह मजीद, डॉ. तैय्यब अंजुम, डॉ. मुहम्मद अरशद ग़यास, डॉ. अब्दुल मजीद कासमी अलीग, डॉ. शकील अहमद मेरठी आदि के नाम उल्लेखनीय हैं। बैठक के महत्वपूर्ण प्रतिभागियों में डॉ. गयासुद्दीन सिद्दीकी, डॉ. अतहर महमूद, डॉ. मिर्जा आसिफ बेग, डॉ. एहसान अहमद सिद्दीकी, डॉ. अहमद राणा, हकीम काशिफ सिद्दीकी, डॉ. मुहम्मद वसीम, डॉ. अहमदुल्लाह, डॉ. सूफियान,डॉ. सलीम सलमानी, डॉ. वहाजुद्दीन, डॉ. राजकुमार, हकीम रशादुल इस्लाम, हकीम मुहम्मद अल्लाह गंगोही, हकीम नईम रजा, हकीम अब्दुल रहमान, इसरार अहमद उज्जैनी, मुफ्ती वसीउल्लाह कासमी, हकीम आफताब आलम, हकीम मुहम्मद आसिफ, मुहम्मद  हफ़्ज़ुर रहमान और मुहम्मद इमरान कन्नौजी आदि शामिल रहे। बैठक की शुरुआत कारी मुहम्मद यूनुस कासमी की तिलावत कुरान से हुई। तहसीन अली आसारवी ने स्टेज का संचालन किया और सभी प्रतिभागियों का डॉ. मूतीउल्लाह मजीद (अध्यक्ष, ऑल इंडिया यूनानी तिब्बी कांग्रेस उत्तराखंड ने शुक्रिया अदा किया।

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