उर्दू डेवलपमेंट ऑर्गेनाइजेशन ने 'बाबा ए उर्दू' को पेश की ख़िराज ए अक़ीदत
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सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए उर्दू के ऐतिहासिक फैसले का स्वागत
मुज़फ्फरनगर। उर्दू डेवलपमेंट ऑर्गेनाइजेशन के ज़ेर ए अहतमाम बाबा ए उर्दू मौलवी अब्दुल हक के योम-ए-पैदाइश पर उनको खिराजे अक़ीदत पेश करने और उर्दू जबान के फरोग़ के लिए एक प्रोग्राम अंबा बिहार मुज़फ्फरनगर में हुआ। जिसकी सदारत उर्दू डेवलपमेंट आर्गेनाईजेशन के कोषाध्यक्ष बदरूज़्जमा खान ने की और संचालन डॉक्टर फर्रूख हसन ने किया। इस मौके पर मुजाहिद ए उर्दू मौलवी अब्दुल हक को खिराजे अक़ीदत पेश किया गया। इस अवसर पर जिला अध्यक्ष कलीम त्यागी ने कहा की उत्तर प्रदेश के हापुड़ में पैदा होने वाले मौलवी अब्दुल हक ने उर्दू जबान ओ अदब के फ़रोग में अजीम कारनामें अंजाम दिए हैं। वह एक कामयाब मोहक़्क़ीक, बेमिसाल अदीब और मुमताज खाक़ा निगार थे। उर्दू जुबान के फरोग़ के जज्बे को देखते हुए उनको बाबा ए उर्दू के ख़िताब से नवाजा गया।
तहसीन अली असारवी ने कहा कि पिछले दिनों महाराष्ट्र के एक मुकदमे को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने उर्दू जबान के ऊपर एक बहुत बड़ा फैसला सुनाया है इस फैसले से उर्दू जबान के चाहने वालों में खुशी की लहर दौड़ गई। हम अदालत के इस फैसले का स्वागत करते हैं।उन्होंने कहा की उउर्दू हिंदुस्तान की गंगा जमुनी तहज़ीब की ज़बान है। यह भारत में ही पैदा हुई और भारत की आज़ादी में बहुत सारी कुर्बानियां पेश की।
हाजी सलामत राही और असद फारूकी ने हिंदी के साथ-साथ उर्दू अखबार की खरीदारी और घरों में बच्चों के लिए उर्दू तालीम का इंतज़ाम और उनके साथ उर्दू बोलने पर ज़ोर दिया। जिला महासचिव शमीम कस्सार और डॉक्टर फर्रुख हसन ने कहा कि सोशल मीडिया पर अपनी पोस्ट ज्यादा से ज्यादा उर्दू लिपि में करें ताकि ज़बान जिंदा रहे। उन्होंने कहा कि उर्दू ज़बान के साथ एक साज़िश यह की जा रही है कि लोग उर्दू अल्फाज को देवनागरी में लिखने पर ज़ोर दे रहे हैं जबकि हक़ीक़त यह है ज़बान अपने रसमुल ख़त के साथ ही जिंदा रह सकती है। इसलिए रसमुल ख़त की हिफाजत की जिम्मेदारी हमारी है। मास्टर खलील ने दुकानों पर उर्दू साइन बोर्ड और घरों पर उर्दू में नाम की तख्ती लगवाने पर जोर दिया। मास्टर इम्तियाज अली ने कहा कि जो बच्चे उर्दू पढ़ रहे हैं उनके अध्यापकों को चाहिए कि वह लिखने पर भी जोर दें।मास्टर नदीम मलिक ने कहा की उर्दू डेवलपमेंट ऑर्गेनाइजेशन एक तंजीम नहीं बल्कि उर्दू तहरीक का नाम है उर्दू के विकास के लिए इस संस्था ने बड़े-बड़े कारनामें अंजाम दिए हैं। उर्दू की लड़ाई अदालत तक लडी है और मुकदमे जीते हैं। उन्होंने कहा कि सभी उर्दू प्रेमी उर्दू जबान को बोलने में और लिखने में कोई झिझक महसूस ना करें।डॉक्टर सलीम सलमानी और शहजाद त्यागी ने कहा कि उर्दू के विकास के लिए जगह-जगह स्टीकर लगाने और अपने घरों पर महलों में उर्दू को आम करने पर जोर दिया।
आखिर में अपने सदारती बयान में बदरूज़्ज़जमा खान ने बाबा ए उर्दू को ख़िराजे अक़ीदत, सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत और साथ ही बहुत जल्द एक शायरी नाशिस्त करने का ऐलान किया।
अंत में मास्टर इम्तियाज अली ने सभी आए मेहमानों का शुक्रिया अदा किया। प्रोग्राम में कलीम त्यागी, तहसीन अली बदरूज्जमां खान, हाजी सलामत राही, असद फारुकी, डॉक्टर सलीम सलमानी, डॉक्टर फर्रुख हसन, शमीम कस्सार, नदीम मलिक, मास्टर खलील अहमद, शहजाद त्यागी, मास्टर इम्तियाज अली, गुलफाम अहमद, मौलाना मूसा क़ासमी, कारी तौहीद कारी सलीम, डॉक्टर शमीम उल हसन, इशरत त्यागी और साजिद हसन मौजूद रहे।
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